धूर्तता और मूर्खता का संगम
आज ही एक लेख पढ़ा जिसका सारांश कुछ यूँ है कि सिंध का राजा दाहिर जब राजगद्दी पर बैठा तो वो अपने राज्य की सरहदों का मुआयना करके आया । मुआयना करने के बाद जब वो वापिस लौटा तो उसके दरबार के ज्योतिषी आये और उन्होने राजा से कहा महाराज आपको अपनी बहन की तरफ से चिंतित होने की आवश्यकता है । जिससे आपकी बहन की शादी होगी वो ही आपके राज्य का शासक होगा । दाहिर ने कहा मेरे मरने के बाद ही तो होगा ।
ज्योतिषियों ने कहा नही महाराज वो आपकी हत्या करने के बाद शासक होगा ।
दाहिर बेचैन हो गया । उसने पूछा इसका कोई उपाय ?
ज्योतिषी बोला आप अपनी बहन से शादी कर लीजिये ।
दाहिर ने कहा ये कैसे हो सकता है ? क्या ये धर्म के विरुद्ध नही है ? प्रजा क्या कहेगी ?
ज्योतिषी ने कहा आप अपनी बहन से शादी कर लेना लेकिन संबंध पत्नी वाले मत बनाना । सम्बन्ध बहन के ही रखना । राजा पर सवाल उठाने की किसकी हिम्मत होगी ।
दाहिर भी एक ब्राह्मण था । दाहिर अपनी बहन से शादी कर लेता है । उसकी खबर दाहिर को लगती है तो वो उस पर आक्रमण कर देता है लेकिन मारा जाता है ।
देखो पाखंडियो की शैतानी, अपने हित साधने के लिए वो किसी भी हद तक गिर सकते हैं ।
मूर्खो की मूर्खता का आलम ये होता है कि अगर उनसे कहा जाये कि गोबर खाओ तो वो गोबर भी शौक से खा जायेंगे ।
उस पाखंडी ने सिर्फ भाई बहन के रिश्ते को ही कलंकित नहीं करवाया वल्कि भाई के द्वारा भाई का भी वध करवा दिया । ये अपने साधने के लिए इंसानी खून को पानी की तरह बहा देते हैं । आदमी को ग्रह, बुरी दशा, साढ़े साती जैसी काल्पनिक दशाओं का भय दिखाकर इन्सान को मानसिक रूप से पंगु बना देते हैं । डरा हुआ आदमी हर प्रकार से उनसे छुटकारा पाकर खुद को सुरक्षित करना चाहता है । चाहे इसके लिए उसको नरबली ही क्यों ना देनी पड़े । नरबली देने वाला इन्सान ये भी नही सोचता कि मैं अपना जीवन बचाने के लिए किसी का जीवन ले रहा हूँ । कृष्ण कंस की कहानी क्या है ? वो भी ज्योतिषियों की भविष्यवाणी का परिणाम है । उसका भी परिणाम क्या हुआ ? वासुदेव के सात नवजात बच्चे मारे गए । दोनों पति पत्नि को अपनी जवानी कारावास में बितानी पड़ी । कितने ही लोग मारे गए और खुद कंस को भी अपने प्राण गंवाने पड़े ।
धूर्तो के चक्कर में पड़ने वाले मूर्खो का ये ही अंजाम होता है ।
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