Monday, January 4, 2016

भिमा कोरेगाव की लडाई सन १ जनवरी १८१८

भिमा कोरेगाव की लडाई सन १ जनवरी १८१८

"भीमा नदी" के तट पर बसा, गाँव 'भीमा – कोरेगांव', पुणे ( महाराष्ट्र ) ०१ जनवरी १८१८ का 'ठंडा' दिन, दो 'सेनाएं', आमने - सामने, २८,०००  सैनिकों सहित 'पेशवा बाजीराव – ( II ) 2', के विरूद्ध 'बॉम्बे नेटिव लाइट इन्फेंट्री' के 500 मूलनिवासी 'महार' सैनिक, 'ब्राह्मण' राज बचाने की फिराक में 'पेशवा', तथा दूसरी ओर 'पेशवाओं' के, पशुवत 'अत्याचारों' से 'बदला' चुकाने की 'फिराक' में, गुस्से से तमतमाए " 500 मूलनिवासी महार " घमासान 'युद्ध' और 'ब्रह्मा' के मुँह से 'जनित' ( पैदा हुए ) 'पेशवा' की शर्मनाक 'पराजय, इस युद्ध में वीरगती प्राप्त २२ सैनिको को तथा उन सभी मूलनिवासी 'महार' ( पूर्वजों ) को 'शत शत नमन, जिन्होंने गुलामी की जंजीरो को तोड़कर, मनुवादियों के सत्ता का खात्मा किया ।
१ ) सोमनाक 
२ ) कमलनाक नाईक 
३ ) रामनाक येसनाक नाईक
४ ) भागनाक हरनाक 
५ ) गोदनाक कोठेनाक 
६ ) रामनाक येसनाक 
७ ) अंबरनाक काननाक 
८ ) गणनाक बालनाक 
९ ) कालनाक कोंड्नाक 
१० ) रुपनाक लखनाक 
११ ) वपनाक रामनाक 
१२ ) विटनाक धामनाक 
१३ ) गणनाक 
१४ ) वपनाक हरनाक 
१५ ) रेनाक वाननाक 
१६ ) गणनाक धर्मनाक 
१७ ) देवनाक आननाक 
१८ ) रामनाक 
१९ ) गोपालनाक बालनाक 
२० ) हरनाक 
२१ ) जेटनाक धैनाक 
२२ ) गणनाक लखनाक
१ ) उस 'हार' के बाद, 'पेशवाई' खतम हो गयी थी ।
२ ) अंग्रेजो' को इस भारत देश की, 'सत्ता' मिली ।
३ ) अंग्रेजो' ने इस भारत देश में, 'शिक्षण' का प्रचार किया, जो 'हजारो' सालों से, 'बहुजन' SC,ST,OBC समाज के लिए 'बंद' था ।
४ ) महात्मा फुले' पढ़ पाए, और इस देश की जातीयता 'समज' पाऐ ।
५ ) अगर 'महात्मा फुले' न पढ़ पाते, तो 'शिवाजी महाराज' की 'समाधी' कोण 'ढूँढ' निकलते ।
६ ) अगर 'महात्मा फुले' न 'पढ़' पाते, तो 'सावित्री बाई' कभी इस देश की प्रथम 'महिला शिक्षिका' न बन सकती थी ।
७ ) अगर 'सावित्री बाई', न 'पढ़' पाई होती तो, इस देश की 'महिला' कभी न पढ़ पाती ।
८ ) शाहू महाराज', 'आरक्षण' कभी न दे पाते । 
९ ) डॉ. बाबा साहब', कभी न 'पढ़' पाते , और मनुस्मुर्ति का दहन कर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय, मानवतावादी "संविधान" हमें ना मिलता ।
१० ) मा. कांशीरामजी नहीं हो पाते और वो SC,ST,OBC को एक सूत्र में नहीं जोड़ पाते ।
११ ) अगर 1 जनवरी, १८१८ को, ५०० 'महार' सैनिकों ने २८,००० 'ब्राम्हण' ( पेशवाओं ) को, मार न डाला होता तो .............. आज हम लोग कहा पे रहते.......
मनुवादियों की गुलामी न होती और मूलनिवासियों के हाथों में तलवार होती, तो भारत पर कोई भी कभी भी आक्रमण करने की कोशिश नहीं करता ।
सम्राट अशोक से शिवजी महाराज , शाहू महाराज तक हमारे मुट्ठी भर आदमी मनुवादियों पर भारी रहे, इसीलिए बाबासाहब ने कहा था "जो लोग जो समाज अपना इतिहास भूल जाता है वो लोग वो समाज अपना इतिहास कभी नहीं बना सकता, और फिर वाही इतिहास उन्हें सबक सिखाये बगैर नही रहता ।
उन्हें मौका मिला था उन्होंने कर दिखाया, आज समय वही है पर हथियार बदल गया है, हमें मौका मिला है, हम खुद और अपने लोगो को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करके शिक्षा के स्त्रोत्र निर्माण कर उन्हें अच्छे पदो पर भेजे और अपने हुकमरान पैदा करे, और पूरी तरह समर्पित होकर मिशन का कार्य करे, यही उन शहीदो को हमारे तरफसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी । 
मै सभी से आग्रह करूँगा की सभी ग्रुप अपने अपने प्रोफाइल फोटो पर भीमा कोरेगाव का विजय स्तम्ब लगाये ।
जय भीम जय मूलनिवासी
मनिष तांबे एक मूलनिवासी योद्धा

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