Thursday, January 7, 2016

"बौद्ध संस्कृति के साथ ब्राह्मणी षड़यंत्र

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"बौद्ध संस्कृति के साथ ब्राह्मणी षड़यंत्र:
👉पूरे भारत में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के दौरान यदि कुछ
प्राचीन मिलता है तोवह " बुद्ध से या सम्राट अशोक " के काल
से सम्बंधित होता है.
👉कभी आपने सोचा ऐसा क्यों
तमिलनाडु में खुदाई में मिला प्राचीन बौद्ध स्मारक ---
दैनिक भास्कर..
👉बिहार के केसरिया में खुदाई में मिला दुनिया का सबसे बड़ा
बौद्ध स्तूप ---दैनिक जागरण..
👉मध्यप्रदेश में खुदाई में मिली बुद्ध की विशाल मूर्ति ---दैनिक
भास्कर..
👉केरल में खुदाई से प्राप्त हुये विशाल बुद्ध विहार के अवशेष ---
Kerala Express..
👉पूरे भारत में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के दौरान यदि
👉कुछ प्राचीन मिलता है तो वह बुद्ध से या सम्राट अशोक के
काल से सम्बंधित होता है.
👉कभीआपने सोचा ऐसा क्यो
खुदाई में अति प्राचीन कोई ब्राह्मण मंदिर अथवा 33
करोड़ देवताओं में से किसी एक की भी कोई विशाल प्रतिमा
क्यों नहीं प्राप्त होती ..
👉क्या बड़े बड़े बौद्ध मंदिर, बौद्ध स्तूप, बौद्ध विहार, विशाल
बौद्ध शिलालेख एवं विशाल बुद्ध प्रतिमाएं समय के अंतराल में
स्वतः ही भूमिगत हो गईं.
👉यदि ऐसा होतातो प्राचीन हिन्दू मंदिरों के अवशेषभी अवश्य
मिलने चाहिए थे.
👉वैदिक संस्कृति को दुनिया की सबसे प्राचीनऔर परिष्कृत
सभ्यता होने का ढिंढोरापीटने वाले बताये कि आपके 6000
वर्ष पहले पैदा होने वाले राम की कोई प्राचीन प्रतिमा अथवा
मंदिर समय के अंतराल में दफ़न क्यों नहीं हुआ ?. .
👉आपके अनुसार 5000 साल पहले पैदा हुए कृष्णका कोई मंदिर
खुदाई में क्यों नहीं निकला ?..
खुदाई में आपके किसी भी देवी देवता अवतार या भगवान से
सम्बंधित कोई भी वस्तु क्यों नहीं प्राप्त हुई? या तो
👉आपकी संस्कृति इतनीसमृद्ध नहीं थी या फिर बुद्ध से सम्बंधित
संस्कृति आपकी संस्कृति से हजारों गुणा श्रेष्ठ, उन्नत, परिष्कृत
एवं विशाल थी.
👉यदि ऐसा था तो फिर इतनी विशाल सभ्यता जमीन के नीचे
कैसे चली गई?
👉मिस्र के पिरामिड जो की रेगिस्तान के भयंकर तूफानों
को झेलकर भी भूमिगत नहीं हुए , उन्हें खोद कर नहीं निकाला
गया, जो बुद्ध से भी दो ढाई हजार साल पुराने हैं और भारत में
👉बुद्ध से सम्बंधित अधिकांशस्थानों को खुदाई द्वारा ही ढूंढ़ा
गया है.
👉भारत की मूल प्राचीन सिन्धु संस्कृति के पूरे के पूरे शहर को
ही 1922 में संयोगवश की गई खुदाई में ही ढूंढ़ा गया...
इसका कारण हम आपको बताते है.
असल में 189 ई.पू. मेंजब सम्राट अशोक के वंशज ब्रहदृथ कीहत्या
ब्राह्मणों ने पूरे योजनाबद्ध तरीके से उसी के सेनापति
👉पुष्यमित्र शुङ्ग द्वारा करवाई... उससे पहले पूरे भारत में, भारत के
कोने कोने में सम्राट अशोक द्वारा स्थापित बुद्धधम्म का ही
परचमङ लहराता था, उस समय भारत के कोने कोने में बुद्ध
स्मारक, बौद्ध स्तूप, बौद्ध मठ, बौद्ध विहार और बुद्ध से
सम्बंधितअन्य विशाल स्मारक ही थे. कोई भी ब्राह्मण मठ
अथवा मंदिर नहीं था...
👉ब्रहदृथ की हत्या के बाद चले ब्राह्मण और श्रमणों (बौद्धों)
के लम्बे एक तरफ़ा संघर्ष में ब्राह्मण अपनी कुटिल और धूर्त
नीतियों के कारण जीत गए.
व्यापक पैमाने पर बौद्ध भिक्षुओं और बौद्धों का नरसंहार
किया गया. उनके इतिहास को सदा के लिए जानबूझकर जमीं
केनीचे दफ़न कर दिया गया और अपने षड़यंत्रों के सबूतों कोभी
साथ में दफना दिया. उन्हीं सबूतों को हमारे लोग खोद कर
निकालने का प्रयास कर रहे हैं.
आइये खोद कर निकाले गए कुछ सद्यंत्रों के अवशेषों को देखते
है... "अशूकावदान" नामक पुस्तक से पता चलता है
किपुष्यमित्र शुंग ने पाटलिपुत्र से लेकर जालंधर तक सभी बौद्ध
विहारों को जलवा दिया और यह घोषणा की कि जो मुझे एक
बौद्ध भिक्षु का iसर लाकर देगा, मैं उसे सोने की सौ मुद्रायें
प्रदान करूँगा...
👉सातवीं सदी में बंगाल के राजा शशांक ने बौद्धों के विरुद्ध
बहशीपन की सीमा पार कर दी.
चीनी यात्री ह्येनसांग लिखता है कि उसने कुशीनगर से
वाराणसीके बीच के सभी बौद्ध विहारों को तबाह कर दिया.
💥पाटलीपुत्र में बुद्ध के पदचिन्हों को गंगा में फिंकवा दिया
और ब्राह्मणों के इशारों पर उसने गया के बौद्ध वृक्ष को कटवा
दिया.
💥बुद्ध की मूर्ति के स्थान पर शिव की मूर्ति रखवा दी...
💥तमिल के पेरिया-प्रनानम नमक ग्रन्थ के अनुसार राजा
महेन्द्र वर्मन ने असंख्य बुद्ध स्मारकों और विहारों को आग
लगवा दी...
💥 11वीं सदी में मैसूर के राजा विष्णु वर्मनने बौद्ध और जैन
मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया...
💥 महावंश पुराण के 93वें परिच्छेद के 22 श्लोक के
अनुसारतथा सिंघली कथाओं में भी उल्लिखित है कि राजा
जय सिंह ने बौद्धों पर इतने भयंकर अत्याचार करवाए कि पूरा
सिंघल द्वीपबौद्धों से खाली हो गया...
💥शंकर दिग्विजय के अनुसार "राजा सुधन्वा नेअपने ब्राह्मण
गुरु कुमारिल भट्ट की आज्ञा से अपने सेवकों को ये आदेश दिया
कि रामेश्वरसे लेकर हिमालय तक के सारे भूभाग पर जो भी
बौद्ध मिले, चाहे वह बूढ़ा हो या बच्चा, उसे क़त्ल कर दो, जो
ऐसा नहीं करेगा, उसे मैं काट दूंगा " (शंकर दिग्विजय अ.1, श्लोक
93-94)..
इस प्रकार के और भी हजारों उदाहरण भरे पड़े हैं. क्या यह
उदहारण काफी नहीं है, ये समझने के लिए की बुद्ध से संबंधित
इतिहास जमींन के नीचे क्यों और कैसे चला गया ?? ?
जय मूलनिवासी

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