Monday, January 4, 2016

संगोष्ठी : ‘माता सावित्री बाई फुले एवं उनका जीवन दर्शन

संगोष्ठी : 'माता सावित्री बाई फुले एवं उनका जीवन दर्शन 
 अफजलपुर , जंगीपुर ,गाजीपुर में  दिनांक 2 जनवरी 2016 को अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग एसोसिएशन द्वारा पंचशील भवन , अफजलपुर , जंगीपुर मे माता सावित्री बाई फुले की जयन्ती की पूर्व संध्या पर 'माता सावित्री बाई फुले एवं उनका जीवन दर्शन ' नमक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा महात्मा ज्योति राव फुले , माता सावित्री बाई फुले एवं डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया । अध्यक्षता करते हुये राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ जी सिंह कश्यप ने कहा कि माता सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831  मे हुआ था इनके पिता का नाम खंडोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था सावित्री बाई का विवाह 1840 मे ज्योति राव फुले के साथ हुआ था  इन्होने  महिलाओ को  सम्मान से जीने की शिक्षा दी, और सामाजिक परिवर्तन के लिए क्रांतिकारी कार्य किए ।   गोष्ठी मे मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ॰  शिवगोविन्द सिंह कुशवाहा ने कहा कि सावित्री बाई फुले भारत के प्रथम बालिका विद्यालय की प्रथम प्रिंसिपल और प्रथम किसान स्कूल की संस्थापिका थी । सावित्री बाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया , जिसका उद्देश्य विधवा विवाह करवाना ,छुआछूत मिटाना , महिलाओं की मुक्ति ,महिलाओं को शिक्षित बनाना था ।       विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए चन्द्रिका प्रसाद सिंह पटेल ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने निराश्रित असहाय महिलाओं के लिए अनाथ आश्रम खोले तथा जीवन अर्न्तजातीय विवाह आयोजित करवाकर जाति एवं वर्ग विहीन समाज की स्थापना के लिए प्रयास करती रही । उन्होने 48 वर्षो तक शोषित , पीड़ित स्त्रियो को इज्जत से रहने और उन्हे स्वाभिमान तथा गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया । इस अवसर पर श्रीमती शुशीला देवी ने  सावित्री बाई फुले की जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सावित्री बाई फुले महिला सशक्तिकरण की एक मिशाल हैं । महिलाओं को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता हैं । जगदीश सिंह कुशवाहा ने कहा कि माता सावित्री बाई फुले ने अपना सारा जीवन सामाजिक कुरीतियों , अंधविश्वास एवं सामाजिक भ्रांतियों को दूर करने मे लगा दिया । गोष्ठी में डॉ॰ मनिराम सिंह कुशवाहा , जगदीश कुशवाहा डॉ॰ संतन कुमार राम डॉ , सुजीत कुमार विश्वकर्मा, आरती यादव , नेहा , कलावती , विमल कवि , जयराम कवि ,अंबिका सिंह कुशवाहा , जवाहर  राम ,विद्या शंकर गुप्त , सूर्यनाथ यादव आदि उपस्थित रहे । संचालन  राजकुमार सिंह कुशवाहा ने किया

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