Thursday, January 7, 2016

आखिर हम अभी भी मानसिक गुलामी से आजाद क्यों नहीं हो पाये|

☝मैं "गुलाम " हुं, मगर क्युं? 

👉आखिर हम अभी भी मानसिक गुलामी से आजाद क्यों नहीं हो पाये| 

1 पहला कारण अज्ञानता 

2 दुसरा गलत जानकारी 

3 तीसरा हम स्वयं आजाद नही होना चाहते 
👉मगर क्यों ? 
👉जब हम पैदा होते है तो आजाद पैदा होते है। फिर हम मानसिक गुलाम केसे बनते है?? 

☝अगर हम चीन मे पैदा होते तो चीनी भाषा जानते वहां कि संस्कृति जानते बुद्ध को जानते । 

☝अगर इंग्लैंड में पैदा होते तो अंग्रेजी जानते ईशु को मानते । 

☝ हम भारत मे पैदा हुये और हमारे पुर्वज सैकड़ों वषों से मानसिक गुलाम थे। उनको पढने का अधिकार नहीं था । इसलिये अज्ञान के कारण वो मानसिक और शारीरिक गुलाम बने 

☝लेकिन हम तो "बाबासाहब कि वजह से शिक्षित हो गये । फिर भी मानसिक गुलाम है, पढे लिखे मानसिक गुलाम । हमें इस गुलामी मे आनंद आ रहा है । हम अपने पुर्वजों के हत्यारो की पुजा कर रहे है। सब जान बुजकर । हम बाबासाहेब की फोटो लगाते है पर उनकी बात नही मानते । गुलामी कि जड़ें बहुत गहरी है हज़ारो सालों कि मानसिकता एक दिन मे नही बदल सकती । मै मानता हुं लेकिन हम कोशिश ही नही कर रहे । 
👉शायद किसी बुद्ध कबीर या अम्बेडकर का इंतज़ार कर रहे है। आने वाली पीढियां हमे माफ नहीं करेगी, हमारी इस कायरता के लिए।

 👉हम बाबासाहेब कि बाईस प्रतिज्ञा को तो मानते नहीं बस उनकी तस्वीर को लगा कर मुक्त हो जाते है । हम अज्ञानी नही है, हम सब जानते है हमारी स्थिति उस नसेडी जेसी है जिसे मालूम तो है नशा उसको नुकसान पहुंचा रहा है पर हम छोड़ नही पाते । 

☝बचपन मे गलत जानकारी की वजह से हम मानसिक गुलाम बने पर क्या हमेंशा बने रहेंगे ? 

☝कब आजाद होंगे हम ? कब मंदिरो मे दान देना बंद करेंगे? 
इस जन्म मे गुलाम ही मरेंगे क्योंकि भीम राव जैसा साहस तो हममें है नही । 
☝"वो भी नादान था, क्यों जलायी मनुस्मृति ? क्यों लिखा संविधान ? क्या हम तो सुधरेगे नही ? 

👉मनुवाद के घोर समर्थक के है हम, मनुवादीयो से भी जयादा । अगर बाबासाहेब जिंदा होते तो बहुत रोते। मेरे जेसे नालायक वंशजों पर अच्छा हुआ पहले ही चले गये । 

👉मै तो माता जी का जागरण करवावुगा। 

👉अंतरजातीय विवाह का विरोध करूँगा । 

👉मंदिर तो जाउंगा दान भी दुंगा । मै थोड़ी सुधरुंगा ? भले ही इतिहास मुझे माफ़ न करे । 

🙏जय भीम 😭

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