Friday, October 21, 2016

क्रांति और प्रतिक्रांति" - भारत का इतिहास

 *"क्रांति और प्रतिक्रांति"*
--- *भारत का इतिहास*

बाबासहाब डा. भीमराव अम्बेड़करजी ने भारत के इतिहास का जब गहराई से अध्यन किया तो बताया कि *"भारत का इतिहास विदेशी युरेशियन ब्राह्मणों की विसमतावादी और बुद्ध की मानवतावादी विचारधारा के बीच क्रांति और प्रतिक्रांति के संघर्ष का इतिहास रहा है ।"*

*सिंधु सभ्यता, मोहन जोदड़ो, हड़प्पा भारत की फली-फूली सभ्यताएं थी इन सभ्यताओं में रहने वाले लोग दैत्य, अदित्य, सूर, असूर, राक्षस, दानव कहलाते थे । तथा इनमें किसी प्रकार का जाति भेद नहीं था, इनकी संस्कृति मातृसत्तात्मक थी ।*


  करीब चार हजार साल पहले जब खेबर दर्रे से होते हुए मध्य एशिया से 'युरेशियन ब्राह्मण' आये तो यहाँ के मूलनिवासी अनार्य कहलाने लगे । आर्य और अनार्यों में करीब पांचसौ वर्ष तक संघर्ष चला जिसमे अनार्यों का पतन हुआ परिणामस्वरूप आर्यों ने अपनी पितृसत्तात्मक संस्कृति और विसमता वादी वर्ण व्यवस्था अनार्यों पर थोप दी, इस युग को इतिहास में आर्य वैदिक युग कहा गया हैं ।

आर्य लोगो में त्रिवर्णीय व्यवस्था ( ब्राह्मण/क्षत्रिय/वैश्य ) विकसित हो चुकी थी । जिसका विवरण ऋग्यवेद में मिलता हैं जब अनार्यों को हराकर गुलाम बनाया तो इन्हें वर्ण व्यवस्था में रखने के लिए चतुर्थ वर्ण ( शूद्र ) की रचना की गयी जिसका विवरण पुरुषशुक्त में मिलता हैं ।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि मूलनिवासी अनार्य हमेशा आर्यों के गुलाम बने रहे, अनार्यों को आर्यों ने शिक्षा/सत्ता/सम्पत्ति/सम्मान आदि मूल अधिकारों से वंचित किया तथा शूद्र ( सछूत ) और अतिशूद्र ( अछूत ) के तौर पर बांट कर इनमें उंच-नीच की भावना पैदाकर आपस में लड़ाते रहे । धीरे-धीरे आर्य ब्राह्मणों ने इन्हें जाति - उपजाति में बांटकर ऐसे अंधविश्वास के जाल में उलझाया कि मूलनिवासी अनार्य शूद्र ( OBC /SC /ST ) आर्य ब्राह्मणों के षड़यंत्रो को समझ ही नहीं पाये ।

आर्यों की अमानवीय विषमतावादी व्यवस्था को गौतम बुद्ध ने अपनी वैज्ञानिक सोच और तर्कों से ध्वस्त कर दिया तथा समाज में ऐसी चेतना फैलाई कि ब्राह्मण और ब्राह्मणी संस्कारों का लोगो ने बहिष्कार कर दिया ।

बुद्ध को ब्राह्मणों ने शुरुआत से ही नास्तिक माना हैं । ब्राह्मणों के शास्त्रों में लिखा भी गया है कि जो अपने जीवन में तर्क का इस्तेमाल करता हैं वह नास्तिक हैं और जो धर्म और ईश्वर में विश्वास रखे वह आस्तिक । रामायण में बौद्धों की नास्तिक कहकर निंदा की गयी हैं ।


 बुद्ध का धम्म कोई धर्म नहीं बल्कि नैतिक सिद्धांत हैं । संक्षेप में कहे तो 'बुद्ध' का मतलब बुद्धि, 'धम्म' का मतलब 'इंसानियत' और संघ का मतलब 'इस उद्देश्य के लिए संघर्ष कर रहा सक्रीय संगठन' हैं ।

परन्तु बेहद दुःख की बात हैं कि बौद्ध सम्राट अशोक के पौत्र मौर्य सम्राट राजा बृहद्रथ की पुष्यमित्र शुंग द्वारा हत्या कर बौद्धों के शासन को खत्मं किया और बौद्धों पर तरह-तरह के ज़ुल्म ढहाए गए, वर्णव्यवस्था जो बुद्ध की क्रांति की वजह से खत्म हो गयी थी । उसे मनुस्मृति लिखवाकर पुनः ब्राह्मणी शासन द्वारा तलवार के बल पर थोपी गयी, जिन बौद्धों ने इनके अत्याचारों की वजह से ब्राह्मण धर्म ( वर्णव्यस्था ) को स्वीकार कर लिया उन्हें आज हम सछूत शूद्र ( OBC ), जिन बौद्धों ने ब्राह्मण धर्म को स्वीकार नहीं किया उन्हें अछूत अतिशूद्र ( SC ) और जो बौद्ध अत्याचारों की वजह से जंगलो में रहने लगे उन्हें आज हम अवर्ण ( ST ) के रूप में पहचानते हैं ।

ब्राह्मण धर्म में वर्ण, वर्ण में जाति, जाति में उंच - नीच और ब्राह्मण के आगे सारे नीच, यही वजह हैं कि जब मुसलमानों का शासन आया तो बड़े पैमाने sc/st/obc के लोग मुसलमान बन गये, जब अंग्रेजो का राज आया तो क्रिस्चन बन गए ।

 आज भी sc/st/obc के लोगों को प्रांतवाद, जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद के नाम पर 'फूट डालो राज करो नीति' को अपनाकर भय, भक्ति, भाग्य, भगवान, स्वर्ग-नर्क, पाप-पूण्य, हवन, यज्ञ, चमत्कार, पाखण्ड अन्धविश्वास, कपोल काल्पनिक पोंगा पंथी कहानियां आदि अतार्किक, अवैज्ञानिक मकड़जाल को इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंटमीडिया के माध्यम से थोपकर तथा मुसलमानों का डर दिखा कर मानसिक रूप से गुलाम बनाया जा रहा हैं । ऐसे में यदि कोई जागरूक बुद्धिजीवी तर्क करता हैं तो उसे धर्म विरोधी बताकर बहिस्कृत कर दिया जाता हैं ।

आज बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेड़करजी के संवैधानिक अधिकारों की वजह से अनार्य शूद्रों ( obc/sc/st ) ने हर क्षेत्र में कुछ तरक्की की है परन्तु आर्य ब्राह्मणों ने कांग्रेस/बीजेपी/AAP के राजनैतिक षडयंत्र में फंसाकर एक तरफ तो हिंदुत्व के नाम पर मुसलमानों से लड़ाने का प्रयास किया जा रहा हैं, दूसरी तरफ प्राईवेटाइजेशन, एसईझेड और भूमि अधिग्रहण के नाप पर आर्थिक रूप से तथा अंधविश्वास फैलाकर मानसिक रूप से गुलाम बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा हैं ।
क्या आज अनार्य शूद्रों के पास आने वाली अंतहीन गुलामी से बचने की समझ और प्लान हैं ?



👇 एक मात्र उपाय

शूद्र ( obc ), अतिशूद्र ( sc/st )
जाति तोड़ो समाज जोड़ो...!

बहुजन समाज बनाओ
अल्पसंख्याक को मिलाओ...!!

अपनी ताकत दिखाओ
मनुवाद से मुक्ति पाओ...!!!

धन, धरती और साधन बांटो
बाद में आरक्षण बांटो...!

जिसकी जितनी संख्या भारी
उतनी उसकी हिस्सेदारी...!!

जय मूलनिवासी, बामण विदेशी...!!!!!
मनिष तांबे एक मूलनिवासी

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