आखिर क्यों डरता है हमारा समाज ?
एक आदमी के साथ कोई झगड़ा हो जाता है और उसे पुलिस उठा कर ले जाती है बावजूद इसके की हमारे समाज में PPS और IPS की IAS कोई कमी नही है लेकिन उस वक्त पर इनको फोन करो तो या तो उठाएंगे नही या कह देंगे अच्छा मै देखता हूँ।
जबकि बस देखता ही रहेगे और कुछ नही कर सकते हे
✍
दूसरी जाति के पीड़ित को अपने नेता या अधिकारी से पूरी हेल्प मिलती है
एक आदमी को यात्रा के दौरान कोई पुलिस चेकिंग के दौरान किसी की कागज की कमी के कारण उसकी गाड़ी का चालान या सीज होने की बात होती है तो लेकिन वो एक फोन अपने ही समाज के अधिकारियो को नही कर पाता क्योकि वो जानता है कि जवाब मिलेगा की ये गलती है पूरे कागज रखो इसमें बताओ मै क्या करूँ।
जबकि
दूसरी जाति का आदमी एक फोन करता है और चेकिंग टीम उसे इज्जत से आजाद कर देती है ।
✍✍
समाज का एक आदमी किसी लफ़ड़े में फंस जाता है और कोर्ट केस हो जाता है और वो बेहद परेशान ऊपर से गरीब होता तो उसे समाज का वकील ये नही कहता कि जो बने दे देना तुम समाज के हो मै आपके लिये खड़ा हूँ।
जबकि
दूसरी जाति के वकील खुद तो हेल्प करते ही हैं बल्कि जज तक से भी फैसला अपने पक्ष में लेने का पुरा सहयोग करते हे प्रयास करते है।
समाज का कोई आदमी किसी गम्भीर बिमारी से पीड़ित हो जाये तो हमारे समाज के बड़े बड़े अधिकारी और नेता जो समाज में बड़े परिवर्तन की बात करते है उनके पास सिवाय आश्वाशन के उस पीड़ित को देने के लिये कुछ नही होता।
जबकि
ऐसी ही घटना दूसरी जाति के आदमी के साथ होती है तो वो लोग जमीन से लेकर आसमान तक अपने आपसी सम्बन्धो का प्रयोग कर पीड़ित को हर सम्भव मदद देते है।
किसी हमारे समाज की बेटी ये बहन के साथ कोई बड़ी घटना घट जायें तो समाज का एक हवलदार से लेकर जज तक है चाहे तो अपराधी को फाँसी तक पहुंचा दे लेकिन कुछ नही कर पाते हे क़ियोकि वो कायर हे
जबकि
दूसरी जाति के सभी बड़े नेता अधिकारी वकील जज मिलकर एक अपराधी को भी बचाने में कामयाब हो जाते है
अब कोई ये बताये की इस से हटकर समाज के साथ क्या तो परेशानी आएगी और कोई आपसे मदद जब नही मांगेगा तो कब मांगेगा।
अब दूसरी जाति के जितने भी अधिकारी और नेता वकील और जज जो अपने लोगो को मदद करते है उनमे से कितने लोगो को सरकार ने फाँसी पर लटकाया है बताओ मुजे तो फिर हमारा समाज ही क्यों डरकर जीता आ रहा।
हमारे समाज पर रात दिन अत्याचार हो रहा कही हमारी बहन माताओ बेटीओ की इज्जत लूट रही कही हमारे समाज के साथ भेदभाव ऊंच निच छुआ छात हो रहा कही हमारे समाज के लोगो से जमीन
छिन रखी हे रुडिवादि सोच के लोगो ने कही हमारे भाईयो को जाति के नाम पर College prshashn no कम देता सेशनल नम्बर हो या practical no
कही अलग बेठाया जाता
तो कही भाईयो को school college univarshity से निकाल दिया जाता हे
ये कब तक चलेगा हेरा फेरी का खेल कब तक गुलाम बने बैठे रहोगे
कब तक गुट गुट जियोगे
कब तक कायर बने रहोगे.
मुजे पता हे तब तक ये सब करोगे ज्ब तक तुम अपने
अंदर से ये नौकरी वाला जादू नही निकाल दोगे कि
आज से प्रेरणा लो कि हम समाज के लिऐ पैदा करे हे
हमारी माँओ ने और और समाज के लिये हि जिते हे
और समाज का हर दुख मे साथ देंगे नही देते हो तो पडो निचे
कुछ लोग समाज के कहेन्गे कि कुछ लोग हिंदू धर्म छोडते हि नही में केहता हूँ कि आप सब छोड़ दो हिंदू धर्म जो कुछ लोग बाबा साहब कि विचारधारा पर चल रहे ये बातें उन लोगो को ऐहसास दिलायेगी जो बाबा साहब का नाम बदनाम कर रहे हे ड्रामा करते हे तब आप लोग छोड़ दोगे वो खुद छोड़ देंगे मैने बहुतो के घरो में मे ये कालपेनिक देवी देवताऔ कि मूर्ति देखि हे घरो मे जा जाकर. और दिखा भी दूँगा.सबूत क़ियो समाज को गुमरा कर रहे हो तभी तो ये भोला भाला समाज आज भटक रहा ह
विश्वाश करे तो कैसे करे
✍
अगर हम सक्षम होते हुए भी चाहे हम डॉक्टर, प्रोफेशर इंजिनियर/ दो चार हि विभाग होगा जो हमारे समाज का वक़्ती नही होगा वर्ना हर विभाग में हे पुलिस अधिकारी, /वकील, /जज या कलेक्टर जी क्यों न है जब हम अपने समाज के असहाय पीडितो की मदद नही कर सकते तो समाज सेवा के नाम पर चल रही सब दुकाने बन्द कर दो। समाज आपको मंच पर सम्मान देता है फूल मालाओ से आपका स्वागत करता है और आप बुरा वक्त पड़ने पर उनकी साहयता नही कर सकते तो बन्द करो ये नाटकबाजी /क़ियो बाबा साहब का नाम बदनाम कर रहे हो जो समाज सेवा के नाम चल रही है।
मेरी ये बाते केवल उन साथियो और अधिकारियो को बुरी लगी होंगी जिन्होंने आज तक समाज से केवल पीछा छुड़ाया है वरना जो लिखा है वो कड़वी सच्चाई है
जय भीम नमो बुद्धाय
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
लेखक.दुश्यन्त कुमार
एक आदमी के साथ कोई झगड़ा हो जाता है और उसे पुलिस उठा कर ले जाती है बावजूद इसके की हमारे समाज में PPS और IPS की IAS कोई कमी नही है लेकिन उस वक्त पर इनको फोन करो तो या तो उठाएंगे नही या कह देंगे अच्छा मै देखता हूँ।
जबकि बस देखता ही रहेगे और कुछ नही कर सकते हे
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दूसरी जाति के पीड़ित को अपने नेता या अधिकारी से पूरी हेल्प मिलती है
एक आदमी को यात्रा के दौरान कोई पुलिस चेकिंग के दौरान किसी की कागज की कमी के कारण उसकी गाड़ी का चालान या सीज होने की बात होती है तो लेकिन वो एक फोन अपने ही समाज के अधिकारियो को नही कर पाता क्योकि वो जानता है कि जवाब मिलेगा की ये गलती है पूरे कागज रखो इसमें बताओ मै क्या करूँ।
जबकि
दूसरी जाति का आदमी एक फोन करता है और चेकिंग टीम उसे इज्जत से आजाद कर देती है ।
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समाज का एक आदमी किसी लफ़ड़े में फंस जाता है और कोर्ट केस हो जाता है और वो बेहद परेशान ऊपर से गरीब होता तो उसे समाज का वकील ये नही कहता कि जो बने दे देना तुम समाज के हो मै आपके लिये खड़ा हूँ।
जबकि
दूसरी जाति के वकील खुद तो हेल्प करते ही हैं बल्कि जज तक से भी फैसला अपने पक्ष में लेने का पुरा सहयोग करते हे प्रयास करते है।
समाज का कोई आदमी किसी गम्भीर बिमारी से पीड़ित हो जाये तो हमारे समाज के बड़े बड़े अधिकारी और नेता जो समाज में बड़े परिवर्तन की बात करते है उनके पास सिवाय आश्वाशन के उस पीड़ित को देने के लिये कुछ नही होता।
जबकि
ऐसी ही घटना दूसरी जाति के आदमी के साथ होती है तो वो लोग जमीन से लेकर आसमान तक अपने आपसी सम्बन्धो का प्रयोग कर पीड़ित को हर सम्भव मदद देते है।
किसी हमारे समाज की बेटी ये बहन के साथ कोई बड़ी घटना घट जायें तो समाज का एक हवलदार से लेकर जज तक है चाहे तो अपराधी को फाँसी तक पहुंचा दे लेकिन कुछ नही कर पाते हे क़ियोकि वो कायर हे
जबकि
दूसरी जाति के सभी बड़े नेता अधिकारी वकील जज मिलकर एक अपराधी को भी बचाने में कामयाब हो जाते है
अब कोई ये बताये की इस से हटकर समाज के साथ क्या तो परेशानी आएगी और कोई आपसे मदद जब नही मांगेगा तो कब मांगेगा।
अब दूसरी जाति के जितने भी अधिकारी और नेता वकील और जज जो अपने लोगो को मदद करते है उनमे से कितने लोगो को सरकार ने फाँसी पर लटकाया है बताओ मुजे तो फिर हमारा समाज ही क्यों डरकर जीता आ रहा।
हमारे समाज पर रात दिन अत्याचार हो रहा कही हमारी बहन माताओ बेटीओ की इज्जत लूट रही कही हमारे समाज के साथ भेदभाव ऊंच निच छुआ छात हो रहा कही हमारे समाज के लोगो से जमीन
छिन रखी हे रुडिवादि सोच के लोगो ने कही हमारे भाईयो को जाति के नाम पर College prshashn no कम देता सेशनल नम्बर हो या practical no
कही अलग बेठाया जाता
तो कही भाईयो को school college univarshity से निकाल दिया जाता हे
ये कब तक चलेगा हेरा फेरी का खेल कब तक गुलाम बने बैठे रहोगे
कब तक गुट गुट जियोगे
कब तक कायर बने रहोगे.
मुजे पता हे तब तक ये सब करोगे ज्ब तक तुम अपने
अंदर से ये नौकरी वाला जादू नही निकाल दोगे कि
आज से प्रेरणा लो कि हम समाज के लिऐ पैदा करे हे
हमारी माँओ ने और और समाज के लिये हि जिते हे
और समाज का हर दुख मे साथ देंगे नही देते हो तो पडो निचे
कुछ लोग समाज के कहेन्गे कि कुछ लोग हिंदू धर्म छोडते हि नही में केहता हूँ कि आप सब छोड़ दो हिंदू धर्म जो कुछ लोग बाबा साहब कि विचारधारा पर चल रहे ये बातें उन लोगो को ऐहसास दिलायेगी जो बाबा साहब का नाम बदनाम कर रहे हे ड्रामा करते हे तब आप लोग छोड़ दोगे वो खुद छोड़ देंगे मैने बहुतो के घरो में मे ये कालपेनिक देवी देवताऔ कि मूर्ति देखि हे घरो मे जा जाकर. और दिखा भी दूँगा.सबूत क़ियो समाज को गुमरा कर रहे हो तभी तो ये भोला भाला समाज आज भटक रहा ह
विश्वाश करे तो कैसे करे
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अगर हम सक्षम होते हुए भी चाहे हम डॉक्टर, प्रोफेशर इंजिनियर/ दो चार हि विभाग होगा जो हमारे समाज का वक़्ती नही होगा वर्ना हर विभाग में हे पुलिस अधिकारी, /वकील, /जज या कलेक्टर जी क्यों न है जब हम अपने समाज के असहाय पीडितो की मदद नही कर सकते तो समाज सेवा के नाम पर चल रही सब दुकाने बन्द कर दो। समाज आपको मंच पर सम्मान देता है फूल मालाओ से आपका स्वागत करता है और आप बुरा वक्त पड़ने पर उनकी साहयता नही कर सकते तो बन्द करो ये नाटकबाजी /क़ियो बाबा साहब का नाम बदनाम कर रहे हो जो समाज सेवा के नाम चल रही है।
मेरी ये बाते केवल उन साथियो और अधिकारियो को बुरी लगी होंगी जिन्होंने आज तक समाज से केवल पीछा छुड़ाया है वरना जो लिखा है वो कड़वी सच्चाई है
जय भीम नमो बुद्धाय
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लेखक.दुश्यन्त कुमार
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