चेन्नई में 47 डाक्टरों ने अपनाया बौद्ध धम्म
Details Published on 18/10/2016 19:18:27 Written by Dalit Dastak
चेन्नई। बाबासाहेब के बौद्ध धम्म ग्रहण करने के 60वें साल में धम्म दीक्षा दिवस 14 अक्टूबर के दिन चेन्नई में खासी हलचल रही. इस दिन कई लोगों ने धम्म की दीक्षा ली, इसमें चेन्नई में प्रैक्टिस करने वाले 47 डॉक्टर भी शामिल थे. धम्म की ओर आकर्षित होने की उनकी एक जायज वजह भी थी. धम्म की शरण लेने वाले इन डाक्टरों का कहना था कि हम सब एक बेहतर डॉक्टर हैं. हममे से कई सरकारी अस्पतालों में हैं लेकिन कई बार मरीज हमसे इलाज करने में संकोच करता है. वजह हमारा दलित जाति से होना है.
डॉक्टर होकर भी हम दलित हैं. धर्मांतरित हुए लोगों का कहना है कि हमें अक्सर जातिवाद का सामना करना पड़ता है. खासकर तामिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में, जहां जाति बहुत मजबूत है. यहां नौकरी के दौरान हमें आसानी से किराये पर मकान नहीं मिलता, घर के काम में सहयोग के लिए काम वाले नहीं मिलते, यहां तक की हमें ड्राइवर रखने और संपत्ति खरीदने में भी जातिवाद का सामना करना पड़ता है. तिर्ची के डॉ. जी. गोविंदाराज का कहना है कि मुझे एक जमीन खरीदनी थी और मैं इसके लिए 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हो गया था. बावजूद इसके जमीन का मालिक मेरी जाति जानना चाहता था. मुझे उस जमीन को खरीदने के लिए अपनी जाति छुपानी पड़ी. लेकिन धम्म की शरण में जाने के बाद अब मैं जी.जी. बुद्धराज हो गया हूं. अब मुझे जाति के सवाल से नहीं जूझना पड़ता है.
फोटोः एक्सप्रेस न्यूज सर्विस
http://www.dalitdastak.com/news/47-doctors-of-chennai-converted-in-budhhism-2418.html
यह है आजाद भारत
यह है हमारे लोगों कि स्थिति
देश में संविधान लागू है
परन्तु
व्यवहार में मनुस्मृति
मतलब
गुलाम
Details Published on 18/10/2016 19:18:27 Written by Dalit Dastak
चेन्नई। बाबासाहेब के बौद्ध धम्म ग्रहण करने के 60वें साल में धम्म दीक्षा दिवस 14 अक्टूबर के दिन चेन्नई में खासी हलचल रही. इस दिन कई लोगों ने धम्म की दीक्षा ली, इसमें चेन्नई में प्रैक्टिस करने वाले 47 डॉक्टर भी शामिल थे. धम्म की ओर आकर्षित होने की उनकी एक जायज वजह भी थी. धम्म की शरण लेने वाले इन डाक्टरों का कहना था कि हम सब एक बेहतर डॉक्टर हैं. हममे से कई सरकारी अस्पतालों में हैं लेकिन कई बार मरीज हमसे इलाज करने में संकोच करता है. वजह हमारा दलित जाति से होना है.
डॉक्टर होकर भी हम दलित हैं. धर्मांतरित हुए लोगों का कहना है कि हमें अक्सर जातिवाद का सामना करना पड़ता है. खासकर तामिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में, जहां जाति बहुत मजबूत है. यहां नौकरी के दौरान हमें आसानी से किराये पर मकान नहीं मिलता, घर के काम में सहयोग के लिए काम वाले नहीं मिलते, यहां तक की हमें ड्राइवर रखने और संपत्ति खरीदने में भी जातिवाद का सामना करना पड़ता है. तिर्ची के डॉ. जी. गोविंदाराज का कहना है कि मुझे एक जमीन खरीदनी थी और मैं इसके लिए 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हो गया था. बावजूद इसके जमीन का मालिक मेरी जाति जानना चाहता था. मुझे उस जमीन को खरीदने के लिए अपनी जाति छुपानी पड़ी. लेकिन धम्म की शरण में जाने के बाद अब मैं जी.जी. बुद्धराज हो गया हूं. अब मुझे जाति के सवाल से नहीं जूझना पड़ता है.
फोटोः एक्सप्रेस न्यूज सर्विस
http://www.dalitdastak.com/news/47-doctors-of-chennai-converted-in-budhhism-2418.html
यह है आजाद भारत
यह है हमारे लोगों कि स्थिति
देश में संविधान लागू है
परन्तु
व्यवहार में मनुस्मृति
मतलब
गुलाम
Jay Bhim Bro
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