@ Dalit voice - झारखंड में एक कलाकार को फांसी की सजा सुना दी गई है. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह लोगों के सुख-दुख और संघर्ष के गीत गाता था. उस आदिवासी कलाकार को चिलखारी हत्याकांड में फर्जी फंसा दिया गया. फंसानें में झारखंड के एक अखबार की प्रमुख भूमिका रही उस कलाकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरा समाज, मीडिया, देश और आरक्षण विरोधी खामोश हैं. पर प्रकाश झा के आरक्षण को जरूर छूट मिलनी चाहिए क्यों ?
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