20वीं सदी में अमेरिकी नस्लवाद और अश्वेत विरोधी हिंसा के एक खूनी दौर की शुरुआत इस फिल्म से मानी जाती है। यह फिल्म हजारों हत्याओं का वैचारिक आधार बनी, जिसने अमेरिकी समाज को कई दशकों तक भारी जख्म दिए। इसलिए फिल्में सिर्फ मासूम फिल्में नहीं होतीं। कुछ जख्म प्रकाश झा जैसे असंवेदनशील बिजनेसमैन के हाथों कुरेदे जाने के लिए नहीं होते। लोकतंत्र ने भारतीय जाति सत्ता को क्रमिक तौर पर कमजोर किया है। यही प्रक्रिया सबके हित में है
http://ping.fm/vwPN6
No comments:
Post a Comment