@Aarakshan - दलितों को इस राष्ट्र में उनके हिस्से में आने वाली पूर्ण भागीदारी के स्थान पर कुछ ही सरकारी क्षेत्रो में हिस्सा दिया गया जो आरक्षण नाम से भी जाना जाता हैं ! इस हिस्सेदारी में हिस्सा दलितों की कुल संख्या के मात्र १ से १.५ प्रतिशत लोग ही ले सकता हैं , और दुर्भाग्य की बात हैं कि राष्ट्र में हिस्सेदारी जिसका वादा लिखित में गाँधी ने किया, वह आज तक नहीं मिली और जो दलितों की कुल संख्या के मात्र १ से १.५ प्रतिशत लोग ही ले सकते हैं, उसपर भी भूखे गिद्दो की नज़रें हमेशा से बनी रही हैं ! - Vikas Mogha
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