tag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post8081693728517545288..comments2024-03-01T05:22:39.998-08:00Comments on Ambedkar Times: "दशानन रावण " गोंडी भाषा में रावण यानि राजा को कहा जाता है ..प्रजा राजhttp://www.blogger.com/profile/14465153950558822936noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-66583597660829224082023-06-07T17:03:37.870-07:002023-06-07T17:03:37.870-07:00हिंदुओं को बरगलाने का काम किया जा रहा है इस संदेश ...हिंदुओं को बरगलाने का काम किया जा रहा है इस संदेश के माध्यम से ताकि जितने हिंदू है वो सभी अलग अलग गूटों में विभाजित हो जाए ,,, ताकि भारत पर फिर कोई आक्रमण करके अपने राज सत्ता जमाए,,, जब तक मोदी है तब तक हिंदू बचे हुए है ,, मोदी गया तो सब खत्म हो जाएगा,,, बस दूसरे धर्मो का रचा रचाया खेल है ,,, ये सब ईसाई, मुस्लिम लोग का काम है ,, जो भोले भाले आदवासियों को अलग अलग करने के लिए ये मुकाम चालू किए है ,हम भी है आदिवासी लेकिन हम समझते है ,,, नासमझ वाले तो मान ले रहे है की रावण हमारे पूर्वज था ,,अरे सुधर जाओ मेरे प्यारे भोले भाले मित्रों ताकि बाद में हमे परेशानियों का सामना न करना पड़े,,,,,, जय जय श्री राम 🤞🤞🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-20386072123279447482023-06-07T16:58:12.961-07:002023-06-07T16:58:12.961-07:00अरे भाई साहब हम रावण को मानते है किंतु रावण छल कपट...अरे भाई साहब हम रावण को मानते है किंतु रावण छल कपटी था ,, पागल लोग, मै भी आदिवासी हू। पर इसका मतलब यह नही की रावन का अर्थ राजा एवम महान होता है। हा रावन एक तपोवसी ब्राम्हण राजा था। जो कि तप और योगशक्ती के द्वारा उन्होने हासील किया था। रावन को बुरा इसलिए मानते है क्यूकी छल कपट द्वारा माता सिता को छल से अपहरण किया। जो उसे अपने शक्ती पर अहंकार चढा हुआ था। इसलिए यहा रावन दहन होता है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-22553934923294229202022-09-10T06:29:28.202-07:002022-09-10T06:29:28.202-07:00👌👌👌👌👌👌
👌👌👌👌👌👌<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-4495578910666771852020-10-25T04:22:00.987-07:002020-10-25T04:22:00.987-07:00कहा पढा तुने, ब्राहाणो ने धर्म शब्द फैलाया। रामचरि...कहा पढा तुने, ब्राहाणो ने धर्म शब्द फैलाया। रामचरित्र्य मानस,वाल्मिकी मे रामायण मे कहा जिक्र है। पुरे वेदो मे कही भी जिक्र नही ,पहले वर्णप्रथा थी। रामायण, महाभारत, काल्पनीक कहानियां है। तो फिर रामशेतू क्या तेरे दादा ने बनाया। श्री.कृष्ण कि नगरी का उल्लेख वेदो मे है। पुराने मंदिर,अवशेस,हत्यारे ये क्या काल्पनिक है। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17675928359009392331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-58111140652416492502020-10-25T04:12:35.308-07:002020-10-25T04:12:35.308-07:00पागल लोग, मै भी आदिवासी हू। पर इसका मतलब यह नही की...पागल लोग, मै भी आदिवासी हू। पर इसका मतलब यह नही की रावन का अर्थ राजा एवम महान होता है। हा रावन एक तपोवसी ब्राम्हण राजा था। जो कि तप और योगशक्ती के द्वारा उन्होने हासील किया था। रावन को बुरा इसलिए मानते है क्यूकी छल कपट द्वारा माता सिता को छल से अपहरण किया। जो उसे अपने शक्ती पर अहंकार चढा हुआ था। इसलिए यहा रावन दहन होता है। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17675928359009392331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-48515821786065414872020-09-02T06:38:06.340-07:002020-09-02T06:38:06.340-07:00Very nice Sir...Very nice Sir...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14660474402987385465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-4019747202471668032018-12-04T02:47:37.392-08:002018-12-04T02:47:37.392-08:00हाहाहाहाहाहा, मानना पढ़ेगा ब्राहम्णों के दिमाग को।...हाहाहाहाहाहा, मानना पढ़ेगा ब्राहम्णों के दिमाग को। एैसी खिचड़ी पकाई है के आज सच सामने आने के बाद भी अधिकांश मुलनिवासी भ्रम मे पढ़ जाते हैं।<br />राम,रावण, महाबली, लक्षमण, कृष्ण,ब्रहमी यह सभी नाम भारतीय मुलनिवासीयों के पूर्वजो के थे। पहले कोई धर्म नही था। मानव विकास चरण के इतिहासिक किस्से थे,जिनमे विज्ञानशास्त्र, खगोलशास्त्र, गणितशास्त्र, चिकित्साशास्त्र, समाजशास्त्र, रसायनशास्त्र की जानकारीयां भी थी, जो पिढ़ी दर पिढ़ी सुनाए जाते थे। जैसे जैसे मानव विकास होता रहा लोग कामो के हिसाब से बटते चले गए। पुराने किस्सो को सुनाने सुनाए जाने को भी काम माना गया और उसके लिए लोगो को नियुक्त किया गया। लम्बे समय बाद फारसी लोग भारत आए और किस्से सुनाने वाले लोगो को अपनी भाषा मे जैनी कहा। लम्बे समय बाद जैनी लोगो से जैन समुदाय बना। <br />लम्बे समय बाद विदेशी आर्य ब्राहम्णों ने भारत आकर मुलनिवासीयों के किस्सो से जुड़े नामो से मिला कर मनघंणत कहानियां बना कर अपने देवताओ की पहचान भारत मे फैला दी। किस्सो मे मिली जानकारीयों के आधार पर वेदो की रचना की परन्तु पुरी जानकारी न होने के कारण वेदो मे किसी भी शास्त्र का पुरा ब्यौरा नही लिखा जा सका। समाजशास्त्र के आधार पर लोगों को शारिरीक बनावट एंव बुद्धी स्तर के अनुसार काम दिए गए थे। चुंकी वह सिस्टम लागु था सो उसमे लागु वर्ण व्यवस्था को काम से हटा कर जातिगत कर दिया गया, और मनुस्मृति लिख दी गई।<br />रामायण, महाभारत, काल्पनीक कहानियां है। भगवतगीता मे मुलनिवासीयों के किस्सो का ज्ञान है थोड़ी फेर बदल करते लिखा गया है, और उसे महाभारत से जोड़ दिया गया ताकि महाभारत मुलनिवासीयों की आने वाली पिढ़ीयो को सत्य लगे। <br />वेदो मे कोई भी ज्ञान पुरा नही है वर्ना भारत मे विमान और पारे से सोना बनाना बहौत पहले शुरू हो चुका होता। ये दोनो ज्ञान रावण को थे।।<br />जब जैन समुदाय बना तो ज्ञानी शब्द वहां से आया जो जैनी का बदला हुआ स्वरूप है। भगवान शब्द महात्मा बुद्ध के बाद बना। क्युकी वो भगवा रंग पहनते थे सो भगवा धारी को भगवान कहा गया था। जैसे धन वाला धनवान, वैसे भगवा वाला भगवान। <br />धर्म शब्द भी बाद मे बना, मान्यताओं को मानने वाला यानि धारण करने वाला। <br />वहीं से ब्राहम्णों ने धर्म शब्द फैलाया।<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-53956900060662329302018-10-26T01:34:49.871-07:002018-10-26T01:34:49.871-07:00Rawan anaryo ka Raja tha Rawan anaryo ka Raja tha Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01643394540108837989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-17641855287306526492017-11-11T22:59:53.588-08:002017-11-11T22:59:53.588-08:00Sahi baat hai. Ravan dahan nahi hona chahiye. Sahi baat hai. Ravan dahan nahi hona chahiye. Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-664295981716791444.post-78625858653463955722016-12-16T07:24:16.875-08:002016-12-16T07:24:16.875-08:00मैं आदिवासी हूँ पर आपकी बात से सहमत नही हूँ क्यों ...मैं आदिवासी हूँ पर आपकी बात से सहमत नही हूँ क्यों की रावण ,रावण का असली नाम था ही नही वो उसकी अपनी कथा है ,और रही बात क्या वो ब्राम्हण था तो हां उसे ब्राम्हण पुत्र ही माना जाता है । Anonymousnoreply@blogger.com